Friday, August 11, 2017

जीतने की उम्मीद जिन्दा रखो

हौसले के तरकश में,
कोशिश का वो तीर ज़िंदा रखो,
हार जाओ चाहे जिन्दगी मे सब कुछ,
मगर फिर से जीतने की उम्मीद जिन्दा रखो।

कोई बुरा ना माने


मुस्कुराने की आदत होनी चाहिये

आंखे कितनी भी छोटी क्यो ना हो,
ताकत तो उसमे सारा आसमान देखने की होती है,
ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब है,
जिसमें जीने की चाहत होनी चाहिये,
ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे,
सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहिये।

जो सफर की शुरुआत करते हैं

जो सफर की शुरुआत करते हैं, वे मंजिल भी पा लेते हैं,
बस एक बार चलने का हौसला रखना जरुरी है,
क्योंकि अच्छे इंसानों का तो रास्ते भी इन्तजार करते हैं।

कल न हम होंगे न गिला होगा

कल न हम होंगे न गिला होगा,
     सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिलसिला होगा,
जो लम्हे हैं चलो हंसकर बिता लें,
    जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा।

Thursday, August 10, 2017

सच्ची मोहब्बत किसी की आजमाया नही करते

दिल मे रहने वालों का दिल दुखाया नही करते,
चाहने वालों को भूल से भी रुलाया नही करते,
इश्क वो जज्बा है जिसमे इश्क करने वाले हदे तोड दिया करते है,
सच्ची मोहब्बत किसी की आजमाया नही करते ।

खैरियत ही कहेंगे

जो कट गयी, वो तो उम्र थी साहब,
जिसे जी लिया, उसे जिंदगी कहिए,

कभी साथ बैठो, तो कहूं दर्द क्या है,
अब यू दूर से पूछोगे, तो खैरियत ही कहेंगे ।

हम तन्हा ही चले थे

हम तन्हा ही चले थे,
ज़िंदगी का दही जमाने,

रास्ते में बूंदियाँ मिलती गईं,
और ज़िंदगी का रायता बन गया।

खामोशियाँ ही बेहतर हैं

तजुर्बा कहता है खामोशियाँ ही बेहतर हैं,
शब्दों से लोग रूठते बहुत हैं,
जिंदगी गुजर गयी सबको खुश करने में,
जो खुश हुए वो अपने नहीं थे,
जो अपने थे वो कभी खुश नहीं हुए ।

बेवफाओं पर भी कोई टैक्स लगा दो यारों

बेवफाओं पर भी कोई टैक्स लगा दो यारों,

आशिको का थोड़ा मुनाफा बढा दो यारों,

किसी की चार चार हैं किसी की एक भी नहीं,

ईश्क  को आधार कार्ड से लिंक करा दो य़ारो ।

Monday, August 7, 2017

कल न हम होंगे न गिला होगा

कल न हम होंगे न गिला होगा,
     सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिलसिला होगा,
जो लम्हे हैं चलो हंसकर बिता लें,
    जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा।

जिंदगी वक़्त का इंतज़ार नहीं करती

रात सुबह का इंतज़ार नहीं करती,                                  
खुशबु मौसम का इंतज़ार नही करती,                            
जो भी ख़ुशी मिले उसका आनंद लिया करो,            
क्योंकि जिंदगी वक़्त का इंतज़ार नहीं करती।

दिया जरूर जलाऊँगा

दिया जरूर जलाऊँगा चाहे मुझे खुदा मिले न मिले,

हो सकता है दीपक की रोशनी से किसी मुसाफिर को ठोकर न लगे।

हर किसी के लिए दुआ किया करो

हर किसी के लिए दुआ किया करो,
क्या पता,
किसी की किस्मत,
तुम्हारी दुआ का इंतजार कर रही हो ।

लोग जल जाते हैं मेरी मुस्कान पर

लोग जल जाते हैं मेरी मुस्कान पर क्योंकि,
मैंने कभी दर्द की नुमाइश नहीं की,

जिंदगी से जो मिला कबूल किया,
किसी चीज की फरमाइश नहीं की,

मुश्किल है समझ पाना मुझे क्योंकि,
जीने के अलग है अंदाज मेरे,

जब जहां जो मिला अपना लिया,
ना मिला उसकी ख्वाहिश नहीं की।

तूफ़ान भी आना ज़रूरी है ज़िन्दगी में

तूफ़ान भी आना ज़रूरी है ज़िन्दगी में,
तब जाकर पता चलता है कौन हाथ छुड़ाकर भागता है,
और ...कौन हाथ पकड़कर भागता है।

और तू मेरे गांव को गँवार कहता है

तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है,
और तू मेरे गांव को गँवार कहता है ।

ऐ शहर मुझे तेरी औक़ात पता है,
तू चुल्लू भर पानी को भी वाटर पार्क कहता है।

थक गया है हर शख़्स काम करते करते,
तू इसे अमीरी का बाज़ार कहता है।

गांव चलो वक्त ही वक्त  है सबके पास ,
तेरी सारी फ़ुर्सत तेरा इतवार कहता है ।

मौन होकर फोन पर रिश्ते निभाए जा रहे हैं,
तू इस मशीनी दौर को परिवार कहता है ।

जिनकी सेवा में खपा देते थे जीवन सारा,
तू उन माँ बाप  को अब भार कहता है ।

वो मिलने आते थे तो कलेजा साथ लाते थे,
तू दस्तूर निभाने को रिश्तेदार कहता है ।

बड़े-बड़े मसले हल करती थी पंचायतें,
तु  अंधी भ्रष्ट दलीलों को दरबार कहता है ।

बैठ जाते थे अपने पराये सब बैलगाडी में ,
पूरा परिवार भी न बैठ पाये उसे तू कार कहता है  ।

अब बच्चे भी बड़ों का अदब भूल बैठे हैं ,
तू इस नये दौर को संस्कार कहता है।

नजरिया बदल गया

कश्ती है पुरानी मगर दरिया बदल गया,
मेरी तलाश का भी तो जरिया बदल गया,
न शक्ल बदली, न ही बदला मेरा किरदार,
बस लोगों के देखने का नजरिया बदल गया।

मुस्करानें में क्या जाता है

परेशानियां तो हमें भी है दोस्तो,
पर मुस्करानें में क्या जाता है।

जी लो तो ज़िंदगी है

ज़िंदगी तो सभी के लिए एक रंगीन किताब है,
फर्क बस इतना है कि कोई हर पन्ने को दिल से पढ़ रहा है,
और कोई दिल रखने के लिए, पन्ने पलट रहा है।

हर पल में प्यार है, हर लम्हे में ख़ुशी है,
खो दो तो यादें हैं, जी लो तो ज़िंदगी है।

हिचकियाँ आना तो चाह रही हैं

कौन शरमा रहा है आज यूँ हमें फ़ुर्सत में याद करके,

हिचकियाँ आना तो चाह रही हैं, पर 'हिच-किचा' रही है ।

घमंड शराब जैसा है

घमंड शराब जैसा है साहब,
घमंड शराब जैसा है साहब,
खुद को छोड़कर सबको पता चलता है कि  इसको चढ़ गयी है।

गँवा बैठे

लोग रह गए इतराते अपनी चालाकियों पर...
वो समझ ही न पाये कि वो क्या गँवा बैठे हैं...!!