तजुर्बा कहता है खामोशियाँ ही बेहतर हैं,
शब्दों से लोग रूठते बहुत हैं,
जिंदगी गुजर गयी सबको खुश करने में,
जो खुश हुए वो अपने नहीं थे,
जो अपने थे वो कभी खुश नहीं हुए ।
शब्दों से लोग रूठते बहुत हैं,
जिंदगी गुजर गयी सबको खुश करने में,
जो खुश हुए वो अपने नहीं थे,
जो अपने थे वो कभी खुश नहीं हुए ।
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