नई शायरी
नई और उम्दा शेरो-शायरी का खज़ाना
Thursday, August 10, 2017
हम तन्हा ही चले थे
हम तन्हा ही चले थे,
ज़िंदगी का दही जमाने,
रास्ते में बूंदियाँ मिलती गईं,
और ज़िंदगी का रायता बन गया।
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