नई शायरी
नई और उम्दा शेरो-शायरी का खज़ाना
Friday, September 8, 2017
चलकर देखा है अक्सर
चलकर देखा है अक्सर, मैंने अपनी चाल से तेज,
पर वक्त, और तकदीर से आगे, कभी निकल न सका ।
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